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हस्तशिल्प

हस्तशिल्प पेंशन योजना

शिल्पियों की बहुलता एवं उनके कला कौशल ने प्रदेश की शिल्प विद्या एवं कला कृतियों को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दिलायी है, परन्तु शिल्पकारों की शारीरिक क्षमता अन्य क्षेत्रों के सापेक्ष समय से पहले ही कम हो जाती है। गिरते स्वास्थ्य एवं बढती आयु के कारण शारीरिक रूप से शिथिल हो जाते हैं। फलतः उनकी आय जनन क्षमता भी घट जाती है। अतः उनके अनुत्पादक शेष जीवन काल में राज्य सरकार से आर्थिक सहयोग आवश्यक है। इसी उद्देश्य से शिल्पकारों के लिए यह योजना संचालित की गयी है।
योजनान्तर्गत भारत सरकार के शिल्पगुरू के रूप में चयनित अथवा राज्य पुरस्कार/राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हस्तशिल्पियों को रू0 1,000/- प्रति माह पेंशन दिये जाने की व्यवस्था है।
अगस्त,2016 से योजना में आंशिक संशोधन करते हुए हस्तशिल्पियों को रू0 1000/- प्रतिमाह पेंशन के स्थान पर रू0 2000/- प्रतिमाह किया गया है।

हस्तशिल्प विपणन प्रोत्साहन योजना
उ0प्र0 में लगभग 25 लाख हस्तशिल्पी है। ये विभिन्न हस्तशिल्प जैसे- कालीन, चूडी, ताला, जरी जरदोजी, हैण्डलूम, चिकन कारीगरी, स्टोन कार्विंग, बुड कार्विंग, ब्लैक पाटरी, बेंतवास, लकडी के खिलौने, टेराकोटा पीतल की कला, जूटवाॅल हैंिगंग, पतंगकासा, पंजादरी पाटरी आदि क्षेत्रों में अपना अमूल्य सहयोग देकर देश एवं प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। इसके बावजूद भी स्थित यह है कि अधिकाॅशतः हस्तशिल्पी हुनरमन्द होते हुए भी अत्यन्त गरीब है। इनके तैयार किये गये माल के विपणन में सहायता के लिए इस योजना का संचालन किया गया है।

इस योजनान्तर्गत प्रदेश के हस्तशिल्पियों को अपने उत्पादों के विपणन हेतु विभिन्न मेलों में भाग लिये जाने के क्रम में परिवहन व्यय एवं स्टाल के किराये में हुए व्यय की प्रतिपूर्ति हेतु अधिकतम रू0 10,000/- राज्य सहायता प्रदान करने का प्राविधान है।
अगस्त,2016 से योजना में आंशिक संशोधन करते हुए उपरोक्तानुसार वर्ष में एकबार प्राप्त होने वाली सहायता को बढ़ाकर वर्ष में दो बार किया गया।

हस्तशिल्प कौशल विकास उन्नयन योजना एवं निर्यात बाजार हेतु डिज़ाइन वर्कशाॅप योजना
यह योजना वर्ष 2007-08 से प्रारम्भ की गयी है। हस्तशिल्प क्षेत्र में परम्परागत विधा से हो रहे कार्य को धीरे-धीरे बेहतर तकनीकी से कराना एवं इस हेतु उनको कौशल विकास की दर से प्रशिक्षित कराना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है। यह योजना प्रदेश के हस्तशिल्प बाहुल्य जिलों में संचालित की जाती है, जिसके अन्तर्गत 18 से 35 वर्ष के आयु वर्ग के व्यक्ति पात्र होते हैं। यह प्रशिक्षण नवीनतम तकनीकी एव उन्नत किस्त के औजारों/उपकरणों के उपयोग भी सिखाये जाते हैं। इस योजनान्तर्गत दो प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जाते हैं।

हस्तशिल्पियों के कौशल विकास की प्रशिक्षण योजनाः- यह प्रशिक्षण भारत सरकार के राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार/राज्य हस्तशिल्प पुरस्कार व दक्षता पुरस्कार प्राप्त शिल्पकारों तथा विकास आयुक्त हस्तशिल्प द्वारा शिल्पगुरू की उपाधि से अलंकृत शिल्पकारों के घरों पर उन्हीं के व्यक्तिगत निर्देशन व संरक्षण में संचालित किया जाता है।
निर्यात बाजार हेतु डिजाईन वर्कशाप योजनाः- यह योजना भी प्रदेश के हस्तशिल्प बाहुल्य जिलों में संचालित की जाती है। इस योजना के अन्तर्गत नियमित एवं स्पाॅसंर्ड वर्कशाॅप आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य है। यह योजना प्रदेश के ऐसे प्रमुख हस्तशिल्प क्षेत्रों में, जहाॅ हस्तशिल्पियों द्वारा निर्मित निर्यात योग्य उत्कृष्ट कला कृतियाॅ बनाई जा रही है, संचालित कराई जाती है। इसके योजनान्तर्गत वही पात्र होते हैं जो हस्तकला/निर्यात से सम्बद्ध उत्पादों में अनुभव रखते हैं। इसमें किसी शैक्षिक योग्यता एवं आयु का कोई प्रतिबन्ध नही है, किन्तु वर्कशाप में ऐसे ही व्यक्तियों को लिया जाता है जो नई डिजाइनों के विकास एवं उन्हें अपनाने में रूचि रखते हैं अथवा जिन्हें निर्यातक प्रायोजित करते हैं।
योजनान्तर्गत हस्तशिल्पियों के प्रशिक्षण तथा कौशल उन्नयन हेतु डिज़ाइन वर्कशाॅप के माध्यम से हस्तशिल्पियों की क्षमता में अभिवृद्धि सुनिश्चित की जाती है।

यू0पी0इन्स्टीटयूट अॅाफ डिजाइन को “क्राफ्ट डिजाइन शैक्षिक संस्था” के रूप में विकसित किया जाना
देश का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश अपनी समृद्ध हस्तशिल्प के कारण देश में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। देश के कुल हस्तशिल्पियों की 29 प्रतिशत आबादी उत्तर प्रदेश में रहती है। देश के कुल हस्तशिल्प निर्यात का 60 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश में निर्मित हस्तशिल्प का है। उत्तर प्रदेश में हस्तशिल्प की समृद्ध परम्परा को क्राफ्ट डिजाइन व अन्य क्षेत्र में सहयोग प्रदान करने हेतु वर्ष 1956 में सेन्ट्रल डिजाइन सेन्टर(सी.डी.सी.) की स्थापना लखनऊ में की गयी थी। सी0डी0सी0 को वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश इन्स्टीटयूट आॅफ डिजाइन(यू.पी.आई.डी.) के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।
उत्तर प्रदेश इन्स्टीटयूट आॅफ डिजाइन(यू.पी.आई.डी.) द्वारा तकनीकी व संस्थागत कमियों के कारण हस्तशिल्प क्षेत्र में वांछित योगदान नहीं दिया जा सका। उत्तर प्रदेश में हस्तशिल्प को बढ़ावा दिये जाने हेतु क्राफ्ट डिजाइन व तकनीकी सुविधाओं एवं सहायता उपलब्ध कराने तथा हस्तशिल्पियों के समग्र विकास हेतु प्रशिक्षित एवं दक्ष हस्तशिल्पियों को तैयार करने हेतु किसी स्तरीय संस्था की कमी को दृष्टिगत रखते हुए उ0प्र0इन्स्टीटयूट आॅफ डिजाइन(यू.पी.आई.डी.) को ’’क्राफ्ट डिजाइन शैक्षिक संस्थान’’ के रूप में विकसित किया जायेगा।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें : http://www.upmsme.in/