मुचकुंद की गुफाएं
मुचुकुन्द श्री राम के पूर्वज थे। असुरो के खिलाफ देवों की सहायता करने के लिए उन्हें निद्रा का वरदान दिया गया थ। देवों के कार्यों में सहायता के लिए इंद्रदेव ने उन्हें मुक्ति के सिवाह कोई भी वर मांगने को कहा। उन्होंने बिन-अवरोध निद्रा मांगी, और यह भी अन्तर्गत किया गया की उनकी निद्रा भांग करने वाला तुरंत भस्म हो जायेगा | कालयवन, जो यवन महारथी थे, उनका संहार मुचुकुन्द की दृष्टि के प्रकोप से हुअ। दैविक आशीर्वाद के कारण, कालयवन को पराजित करना असंभव था। उसे पता चला के सिर्फ श्री कृष्ण ही उनको पराजित कर सकते हैं। इस कारण कालयवन ने द्वारका पर संहार किय। कालयवन के आशीर्वाद की वजह से उसे पराजित करना कठिन थ। श्री कृष्ण ने युक्ति लगाकर रण छोड़ दिय। इस कारण उन्हें रणछोड़दास का नाम मिला। श्री कृष्ण मुचुकुन्द की गुफा में घुस गए, उन पर अपने वस्त्र दाल दिये। इस कारण कालयवन को लगा की श्री कृष्ण वहां आकर सो गए हैन। अँधेरे में बिना देखे मुचुकुन्द को ललकार कर जगाया, और इसका परिणाम यह की कालयवन भस्म हो गया| श्री कृष्ण ने मुचुकुन्द को आशीष दिए, और मुक्ति की ओर मार्ग दर्शन करये। जब मुचुकुन्द गुफा से बहार निकले तो उन्होंने देखा की लोग अउ प्राणी छोटे छोटे हो गए हैं। क्योंकि वह श्री राम के पूर्वज थे (द्वापर युग) और तब से निद्रावस्था में थे, त्रेता युग तक सृष्टि में काफी परिवर्तन हुआ था ऐसा ग्न्यात कर सकते हैं।
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कैसे पहुंचें:
बाय एयर
भोपाल अथवा ग्वालियर एअरपोर्ट निकटतम हैं |
ट्रेन द्वारा
ललितपुर रेलवे स्टेशन
सड़क के द्वारा
धौर्रा रोड