एक जनपद एक उत्पाद
“जरी सिल्क साडी – चंदेरी साडी, ललितपुर ”
जनपद ललितपुर में बनने वाली ’’जरी सिल्क साड़ी’’ काफी प्राचीन है जो लगभग 1400 ई0 से 1500 ई0 सन से यह कार्य होता आ रहा है। इस अति प्राचीन कार्य जो अब धीरे-धीरे कम होता चला आ रहा था जिसे बढ़ावा देने एवं पारम्परिक कारीगरों के उत्थान हेतु उ0प्र0 शासन द्वारा चलायी जा रही ’’एक जनपद एक उत्पाद’’ योजना से आच्छादित कराया गया है।
उ0प्र0 शासन द्वारा चलाई जा रही अति महत्वपूर्ण योजना ’’एक जनपद एक उत्पाद’’ के अन्तर्गत जनपद ललितपुर के लिए चयनित ’’जरी सिल्क साड़ी’’ एक विशिष्ट उत्पाद है। इस उत्पाद में बनने वाली जरी सिल्क साड़ी पूर्णतया हथकरघा उत्पाद है, जिसमें कोई भी इलैक्ट्रीकल्स मशीनरी का उपयोग नहीं होता है। इस कार्य को करने वाले हस्तशिल्पी पारम्परिक कारीगर हैं जो कई वर्षों से इस कार्य को करते चले आ रहे हैं। यह कार्य जनपद के निकट चन्देरी कस्बे से चलकर जनपद के शहरी एवं विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में होता है जनपद में लगभग 250-275 हस्तशिल्पी इस कार्य को करते हैं। ये लगभग सभी हस्तशिल्पी इस पिछड़े जनपद के अति पिछड़े वर्ग व अति कमजोर श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं। जो इस साड़ी के बुनाई का कार्य कर व्यापारियों को साड़ी दे देते हैं, इन्हे एक मात्र मजदूरी प्राप्त होती है। इस साड़ी की बुनाई करने में प्रत्येक हस्तशिल्पी का कम से कम 6 दिन से लेकर 20 दिन का समय लगता है। पारम्परिक करघा का उपयोग करने से इन हस्तशिल्पियों को उपरोक्त कार्य करने में अधिक समय व कम मजदूरी प्राप्त होती है। जनपद में ओ0डी0ओ0पी0 योजना आने से पूर्व इन सभी हस्तशिल्पियों को किसी प्रकार का बढ़ावा नहीं मिला न ही कोई विशेष प्रयास हुआ। जनपद में कोई ऐसी बड़ी इकाई पिछले 50 वर्षों में स्थापित नहीं हो पायी जहाँ पर जनपद के हस्तशिल्पी अपनी साड़ी का प्रदर्शन करते। यहाँ तक जनपद के निवासियों अथवा इस जनपद की भौगोलिक स्थिति नेशनल हाईवे संख्या 44 में होने के बावजूद किसी टेªवलर को जनपद में साड़ी देखने को नही मिलती क्योंकि इन हस्तशिल्पियों के पास मात्र एक या दो ही साड़ियाँ देखने को प्राप्त होती थी।
उ0प्र0 शासन द्वारा इस उत्पाद को जनपद के लिए चयनित होने पर इन्हें योजना के लाभ के लिए विशेष प्रयास किये गये। सर्व प्रथम बैंको के माध्यम से इन हस्तशिल्पियों के लिए एक निश्चित धनराशि निर्धारित कराकर त्रण दिलाया गया जिसमें इन अभ्यर्थियों के लिए नये हथकरघा व सम्बन्धित टूलकिट उपलब्ध कराया गया। इसी के साथ जनपद में दो काॅमर्शियल इकाईयों की स्थापना कराया गया। इन स्थापित इकाईयों में बैंकों के माध्यम से ओ0डी0ओ0पी0 योजना में ऋण दिलाकर पहली बार एक काॅमर्शियल उत्पादन इकाई मे0 तान्या टेक्सटाईल जनपद में पहली बार स्थापित हुयी जिससे यहाँ के हस्तशिल्पियों को स्थानीय स्तर में कच्चेमाल की सुविधा होने के साथ-साथ ग्राहकों को उत्पादन स्थल पर ही इस विशिष्ट उत्पाद को खरीदने एवं देखने का अवसर प्राप्त हुआ एवं 30-40 व्यक्तियों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुये साथ ही ऐसे कारीगर जो घर पर कार्य नहीं कर सकते थे, उन्हें इस इकाई में कार्य मिलने लगा। दूसरी इकाई मे0 निहारिका साड़ी, ललितपुर को भी काॅमर्शियल इकाई के रूप में बढ़ावा दिया गया। जिसमें भी 15-20 व्यक्तियों को रोजगार सृजन हुआ।
उपरोक्त नये कार्यों से जनपद के इस प्राचीन कला के हस्तशिल्पियों में एक नई ऊर्जा प्राप्त हुई है एवं हस्तशिल्पियों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
ओ0डी0ओ0पी0 योजना में एक जनपद एक उत्पाद टूलकिट प्रशिक्षण योजना संचालित है जिसमें इन कम आय के इन हस्तशिल्पियों को जनपद स्तर पर चयनित कर जेकार्ट टूलकिट उपलब्ध कराया गया इस टूलकिट उपलब्ध कराने से इन हस्तशिल्पियों को जरी सिल्क साड़ी की बुनाई में बनने वाली ग्राफीकली हथकरघा डिजाइन में लगभग 40 प्रतिशत समय बचने से बुनाई के लिए हस्तशिल्पियों को समय की बचत होने लगी जिससे इनकी आय में 40 प्रतिशत तक की वृद्धि हुयी। इस टूलकिट के प्रदान कराने से इन हस्तशिल्पियों के जीवनस्तर में वृद्धि हुयी है। जनपद में प्रत्येक स्थापित हथकरघा में इस टूलकिट को उपलब्ध कराया गया।विशेषकर महिलायों को इसका लाभ मिला जिन्हे बुनाई के समय घागा उठाने मे अपने हाथों के उपयोग करने से उंगलियो के मध्य ब्लड तक निकल आता था। इस टुल्स के उपयोग से हस्तशिल्पियो के कार्य की स्थिति मे वृद्धि,महिलायों की सहभागिता मे वृद्धि एवं उत्कृष्ट उत्पाद बनाने मे सहायता प्राप्त हुयी । चूंकि इस हस्तशिल्प से बनने वाली साड़ी विशिष्ट प्रकार की चन्देरी सिल्क साड़ी है जो काँचीपुरम साड़ी से मिलती-जुलती है, इन साड़ियों में पारदर्शिता की विशिषटता से अधिक पसन्द किया जाता है जिनका बाजार भी उपलब्ध है। इन इकाईयों में स्थापित हथकरघा एक इको टूल्स हैं, जिसमें न तो कोई वायु प्रदूषण होता न ही कोई रसायन का उपयोग होता और न ही विद्युत पावर की आवश्यकता है।
जनपद में इस प्राचीन इतिहासिक ’’जरी सिल्क साड़ी’’ जो कि ग्रामीण स्तर पर भी रोजगार सृजन के लिए एक अति महत्वपूर्ण कार्य होगा जिसे जनपद के प्रत्येक ग्राम पंचायत में स्थापित कराये जाने का लक्ष्य दिया गया है ताकि इस अति पिछड़े जनपद में इस प्राचीन विशिष्ट कला का उत्तरोत्तर प्रगति के साथ-साथ रोजगार के आसीम अवसर प्राप्त होते रहें।
वर्तमान में जनपद में 34 हस्तशिल्पियों को बैंकों के माध्यम से रुपये 139.00 लाख का ऋण दिलाकर लगभग 200 से अधिक रोजगार सृजन कराया जा चुका है एवं निरन्तर इस योजना पर कार्य किया जा रहा है। उपरोक्त कार्य योजनाओं के फलस्वरूप जनपद में पूर्व में कार्य कर रहे हस्तशिल्पियों की संख्या में अपेक्षित वृद्धि हुई है एवं अब लगभग 400 व्यक्ति इस कार्य में संलग्न हो गये हैं एवं उनकी आय में वृद्धि हो रही है।